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FAKE VS REAL LEADERSHIP

Fake Vs Real Leadership

किसी भी संस्थान, सोसाइटी या राजनीति में 2 तरह के लीडर्स होते हैं । एक फेक लीडर और एक लीडर ।

फेक लीडर, असल में लीडर नहीं होते, बस लीडर बनने की कोशिश करते हैं । जबकि लीडर को लीडर बनना या दिखना नहीं होता, वो डिफॉल्ट लीडर होता है ।

फेक लीडर की सबसे बड़ी प्रॉब्लम ये है कि उसे लगता है कि वही सब कुछ है, सारी दुनियां का लोड उस पर है, दुनियां का सारा काम उसी के वजह से हो रहा है और करने वाला सिर्फ वही है, अगर वो यह सब नहीं करेगा तो कुछ भी नहीं होगा, आदि आदि.. । पद में छोटे लोगों को वेवजह डांटना, हर काम और इंसान में फाल्ट फाइंडिंग, सिर्फ अपना फायदा सोचना, दूसरों के काम में अड़ंगे लगाना, सिर्फ अपनी हांकना, अपनी गलती दूसरों के सर पर रखना, दिखावा, घुमा फिराकर हर चीज को पेश करना, अपनी चलाने के लिए हर स्थिति को अस्थिर करने की कोशिश.. फेक लीडर के मुख्यतया यही काम हैं ।

इनको समाधान से मतलब नहीं बस समस्याएं बनी रहें, यही मकसद है । इनकी एक और सबसे बड़ी खासियत है, दूसरों के कंधे पर रखकर बंदूक चलाना ।

जबकि सही लीडरशिप, लीड करने के साथ साथ example सेट करने में है । लीडरशिप दूसरे लोगों को प्रमोट करने में है । स्थिति, व्यवस्था और चीजों को सभी लोगों के लिए आसान और सुगम बनाने में है । सब को बराबर मानने में है । खुद के साथ औरों की सोचने में है (एक फेक लीडर इस बात को ज्यादा अच्छे से प्रचारित करने की कोशिश करता है कि वो हमेशा दूसरों के हितों की ही सोच रहा है, सोचता नहीं ये अलग बात है ) ।

इन फेक लीडर्स को कौन समझाए कि इनका कोई भविष्य नहीं है ।

By Deepak Goyal

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